तंत्र-सूत्र—विधि-03 (ओशो)
या जब कभी अंत: श्वास और बहिर्श्वास एक दूसरे में विलीन होती है, उस क्षण में ऊर्जारहित, ऊर्जापूरित केंद्र को स्पर्श करो। हम केंद्र और परिधि में विभाजित है। शरीर परिधि है। हम शरीर को, परिधि को जानते है। लेकिन हम यह नहीं जानते कि कहां केंद्र है। जब बहिर्श्वास अंत:श्वास में विलीन होती है। … Read more तंत्र-सूत्र—विधि-03 (ओशो)