तंत्र-सूत्र—विधि-13 (ओशो)
‘’या कल्पना करो कि मयूर पूंछ के पंचरंगे वर्तुल निस्सीम अंतरिक्ष में तुम्हारी पाँच इंद्रियाँ है। अब उनके सौंदर्य को भीतर ही घुलने दो। उसी प्रकार शून्य में या दीवार पर किसी बिंदु के साथ कल्पना करो, जब तक कि वह बिंदु विलीन न हो जाए। तब दूसरे के लिए तुम्हारी कामना सच हो जाती … Read more तंत्र-सूत्र—विधि-13 (ओशो)