तंत्र सूत्र—विधि -67 (ओशो)

‘यह जगत परिवर्तन का है, परिवर्तन ही परिवर्तन का। परिवर्तन के द्वारा परिवर्तन को विसर्जित करो।’ पहली बात तो यह समझने की है कि तुम जो भी जानते हो वह परिवर्तन है, तुम्‍हारे अतिरिक्‍त जानने वाले के अतिरिक्‍त सब कुछ परिवर्तन है। क्‍या तुमने कोई ऐसी चीज देखी है। जो परिवर्तन न हो। जो परिवर्तन […]

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