तंत्र सूत्र—विधि -81 (ओशो)

अग्‍नि संबंधि तीसरी विधि: ‘जैसे विषयीगत रूप से अक्षर शब्‍दों में और शब्‍द वाक्‍यों में जाकर मिलते है और विषयगत रूप से वर्तुल चक्रों में और चक्र मूल-तत्‍व में जाकर मिलते है, वैसे ही अंतत: इन्‍हें भी हमारे अस्‍तित्‍व में आकर मिलते हुए पाओ।’ यह भी एक कल्‍पना की विधि है। अहंकार सदा भयभीत है। … Read more

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