संभोग से समाधि की ओर—09 (ओशो)
संभोग : समय-शून्यता की झलक—1 मेरे प्रिय आत्मन, एक छोटी से कहानी से मैं अपनी बात शुरू करना चाहूंगा। बहुत वर्ष बीते, बहुत सदिया। किसी देश में एक बड़ा चित्रकार था। वह जब अपनी युवा अवस्था में था, उसने सोचा कि मैं एक ऐसा चित्र बनाऊं जिसमें भगवान का आनंद झलकता हो। मैं एक ऐसे … Read more