संभोग से समाधि की ओर—10 (ओशो)
संभोग : समय-शून्यता की झलक—2 और इसलिए आदमी दस-पाँच वर्षों में युद्ध की प्रतीक्षा करने लगता है, दंगों की प्रतीक्षा करने लगता है। और हिन्दू-मुसलमान का बहाना मिल जाये तो हिन्दू-मुसलमान सही। अगर हिन्दू-मुसलमान का न मिले तो गुजराती-मराठी भी काम करेगा। अगर गुजराती-मराठी न सही तो हिन्दी बोलने वाला और गेर हिन्दी बोलने वाला […]