तंत्र-सूत्र—विधि-43 (ओशो)

ध्‍वनि-संबंधी सातवीं विधि: ‘’मुंह को थोड़ा-सा खुला रखते हुए मन को जीभ के बीच में स्‍थिर करो। अथवा जब श्‍वास चुपचाप भीतर आए, हकार ध्‍वनि को अनुभव करो।‘’ मन को शरीर में कहीं भी स्‍थिर किया जा सकता है। सामान्‍यत: हमने उसे सिर में स्‍थिर कर रखा है; लेकिन उसे कहीं भी स्‍थिर किया जा […]

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