तंत्र सूत्र—विधि -86 (ओशो)
‘भाव करो कि मैं किसी ऐसी चीज की चिंतना करता हूं जो दृष्टि के परे है, जो पकड़ के परे है। जो अनस्तित्व के, न होने के परे है—मैं।’ ‘’भाव करो कि मैं किसी ऐसी चीज कीं चिंतना करता हूं जो दृष्टि के परे है।‘’ जिसे देखा नहीं जा सकता। लेकिन क्या तुम किसी ऐसी […]