संभोग से समाधि की ओर—08 (ओशो)

संभोग : अहं-शून्‍यता की झलक—4 लेकिन वह बहुत महंगा अनुभव है, वह अति महंगा अनुभव है। और दूसरा कारण है कि वह अनुभव से ही अपलब्‍ध हुआ है। एक क्षण से ज्‍यादा गहरा नहीं हो सकता है। एक क्षण को झलक मिलेगी और हम वापस अपनी जगह लोट आयेंगे। एक क्षण को किसी लोक में … Read more

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