तंत्र-सूत्र—विधि-38 (ओशो)

ध्‍वनि-संबंधी दूसरी विधि: ध्‍वनि के केंद्र में स्‍नान करो, मानो किसी जलप्रपात की अखंड ध्‍वनि में स्‍नान कर रहे हो। या कानों में अंगुलि डालकर नांदों के नाद, अनाहत को सुनो। इस विधि का प्रयोग कई ढंग से क्या जा सकता है। एक ढंग यह है कि कहीं भी बैठकर इसे शुरू कर दो। घ्वनियां […]

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