संभोग से समाधि की ओर—46 (ओशो)

संभोग से समाधि की और–ओशो (अठहरवां-प्रवचन) न भोग, न दमन—वरण जागरण—अठहरवां प्रवचन मेरे प्रिय आत्‍मन, तीन सूत्रों पर हमने बात की है। जीवन क्रांति की दिशा में पहला सूत्र था- ‘सिद्धांतों से, शास्त्रों से मुक्ति।’ जो व्यक्ति किसी भी तरह के मानसिक कारागृह में बंद है, वह जीवन ‘ की सत्य की, खोज नहीं कर … Read more

संभोग से समाधि की ओर—45 (ओशो)

संभोग से समाधि की ओर–ओशो (सत्‍तहरवां-प्रवचन) दमन से मुक्‍ति—सत्‍तरवां प्रवचन मेरे प्रिय आत्मन ‘जीवन क्रांति के सूत्र’ -इस परिचर्चा के तीसरे सूत्र पर आज चर्चा करनी है। पहला सूत्र था : सिद्धांत शाख और वाद से मुक्ति। दूसरा सूत्र था भीड़ से, समाज से-दूसरों से मुक्ति। और आज तीसरे सूत्र पर चर्चा करनी है। इस … Read more

संभोग से समाधि की ओर—44 (ओशो)

संभोग से समाधि की ओर–ओशो (सोलहवां प्रवचन) भीड़ से, समाज से-दूसरों से मुक्ति—सोलहवां प्रवचन मेरे प्रिय आत्मन, मनुष्य का जीवन जैसा हो सकता है, मनुष्य जीवन में जो पा सकता है। मनुष्य जिसे पाने के लिये पैदा होता है-वही उससे छूट जाता है। वह उसे नही मिल पाता है कभी किसी एक मनुष्य के जीवन … Read more

संभोग से समाधि की ओर—43 (ओशो)

संभोग से समाधि की ओर–ओशो (प्रन्‍द्रहवां प्रवचन) सिद्धन, शास्त्र और वाद से मुक्ति—पन्‍द्रंहवां प्रवचन मेरे प्रिय आत्‍मन अभी-अभी सूरज निकला। सूरज के दर्शन कर रहा था। देखा आकाश में दो पक्षी उड़े जा रहे हैं। आकाश में न तो कोई रास्ता है, न कोई सीमा है, न कोई दीवाल है, न उड़नेवाले पक्षियों के कोई … Read more

संभोग से समाधि की ओर—42 (ओशो)

संभोग से समाधि की ओर–ओशो ( चौदहवां-प्रवचन) नारी एक और आयाम—प्रवचन चौदहवां स्‍त्री और पुरुष के इतिहास में भेद की, भिन्नता की, लम्बी कहानी जुड़ी हुई है। बहुत प्रकार के वर्ग हमने निर्मित किये हैं। गरीब का, अमीर का; धन के आधार पर, पद के आधार पर। और सबसे आश्चर्य की बात तो यह है … Read more

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