संभोग से समाधि की ओर—41 (ओशो)

संभोग से समाधि की ओर–ओशो (प्रवचन तैरहवां) नारी और क्रांति—प्रवचन तैरहवां मेरे प्रिय आत्मन व्यक्तियों में ही, मनुष्य में ही सी और पुरुष नहीं होते हैं—पशुओं में भी पक्षियों में भी। लेकिन एक और भी नयी बात आपसे कहना चाहता हू : देशों में भी सी और पुरुष देश होते हैं। भारत एक सी देश … Read more

संभोग से समाधि की ओर—40 (ओशो)

संभोग से समाधि की और–ओशो (बाहरवां प्रवचन) युवा चित्त का जन्‍म—बाहरवां प्रवचन मेरे प्रिय आत्मन सोरवान विश्वविद्यालय की दीवालों पर जगह—जगह एक नया ही वाक्य लिखा हुआ दिखायी पड़ता है। जगह—जगह दीवालों पर, द्वारों पर लिखा है : ‘ ‘प्रोफेसर्स, यू आर ओल्ड’ ‘ — अध्यापकगण, आप बूढ़े हो गये हैं! सोरवान विश्वविद्यालय की दीवालों … Read more

संभोग से समाधि की ओर—39 (ओशो)

संभोग से समाधि कि ओर–ओशो (ग्‍याहरवां प्रवचन) युवक कौन—ग्‍याहरवां प्रवचन युवकों के लिए कुछ भी बोलने के पहले यह ठीक से समझ लेना जरूरी है कि युवक का अर्थ क्या है? युवक का कोई भी संबंध शरीर की अवस्था से नहीं है। उम्र से युवा है। उम्र का कोई भी संबंध नहीं है। बूढ़े भी … Read more

संभोग से समाधि की ओर—37 (ओशो)

संभोग से समाधि की और–ओशो (प्रवचन दसवां) विद्रोह क्‍या है—प्रवचन दसवां हिप्‍पी वाद मैं कुछ कहूं ऐसा छात्रों ने अनुरोध किया है। इस संबंध में पहली बात, बर्नार्ड शॉ ने एक किताब लिखी है: मैक्‍सिम्‍प फॉर ए रेव्‍होल्‍यूशनरी, क्रांतिकारी के लिए कुछ स्‍वर्ण-सूत्र। और उसमें पहला स्‍वर्ण बहुत अद्भुत लिखा है। और एक ढंग से … Read more

संभोग से समाधि की ओर—38 (ओशो)

विद्रोह क्‍या है? दूसरा सूत्र है—सहज जीवन—जैसे है। लेकिन सहज होना बहुत कठिन है। सहज होना सच में ही बहुत कठिन बात है। क्‍योंकि हम इतने असहज हो गए है कि हमने इतनी यात्रा कर ली है। अभिनय की कि वहां लौट जाना, जहां हमारी सच्‍चाई प्रकट हो जाये, बहुत मुश्‍किल है। डॉक्‍टर पर्ल्‍स एक … Read more

संभोग से समाधि की ओर—36 (ओशो)

जनसंख्‍या विस्‍फोट प्रश्‍न कर्ता: भगवान श्री, एक और प्रश्‍न है कि परिवार नियोजन जैसा अभी चल रहा है उसमें हम देखते है कि हिन्‍दू ही उसका प्रयोग कर रहे है, और बाकी और धर्मों के लोग ईसाई, मुस्‍लिम, ये सब कम ही उपयोग कर रहे है। तो ऐसा हो सकता है कि उनकी संख्‍या थोड़े … Read more

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