तंत्र-सूत्र—विधि-35 (ओशो)

देखने के संबंध में छट्टी विधि: ‘’किसी गहरे कुएं के किनारे खड़े होकर उसकी गहराइयों में निरंतर देखते रहो—जब तक विस्‍मय-विमुग्‍ध न हो जाओ।‘’ ये विधियां थोड़े से फर्क के साथ एक जैसी है। ‘’किसी गहरे कुएं के किनारे खड़े होकर उसकी गहराईयों में निरंतर देखते रहो—जब तक विस्‍मय-विमुग्‍ध न हो जाओ।‘’ किसी गहरे कुएं […]

तंत्र-सूत्र—विधि-34 (ओशो)

देखने के संबंध में पांचवी विधि: ‘’जब परम रहस्‍यमय उपदेश दिया जा रहा हो, उसे श्रवण करो। अविचल, अपलक आंखों से; अविलंब परम मुक्‍ति को उपलब्‍ध होओ।‘’ ‘’जब परम रहस्‍यम उपदेश दिया जा रहा हो। उसे श्रवण करो।‘’ यह एक गुह्म विधि है। इस गुह्म तंत्र में गुरु तुम्‍हें अपना उपदेश या मंत्र गुप्‍त ढंग […]

तंत्र-सूत्र—विधि-33 (ओशो)

देखने के संबंध में चौथी विधि: ‘’बादलों के पार नीलाकाश को देखने से शांति को सौम्‍यता को उपलब्‍ध होओ।‘’ मैंने इतनी बातें इसलिए बताई कि ये विधियां बहुत सरल है। और उन्‍हें प्रयोग करके भी तुम्‍हें कुछ नहीं मिलेगा। और तब तुम कहोगे, ये किस ढंग की विधियां है। तुम कहोगे कि इन विधियों को […]

तंत्र-सूत्र—विधि-32 (ओशो)

देखने के संबंध में तीसरी विधि: ‘’किसी सुंदर व्‍यक्‍ति या सामान्‍य विषय को ऐसे देखो जैसे उसे पहली बार देख रहे हो।‘’ पहले कुछ बुनियादी बातें समझ लो, तब इस विधि का प्रयोग कर सकते हो। हम सदा चीजों को पुरानी आंखों से देखते है। तुम अपने घर आते हो तो तुम उसे देखे बिना […]

तंत्र-सूत्र—विधि-31 (ओशो)

देखने के संबंध में दूसरी विधि: ‘’किसी कटोरे को उसके पार्श्‍व-भाग या पदार्थ को देखे बिना देखो। थोड़े ही क्षणों में बोध का उपलब्‍ध हो जाओ।‘’ किसी भी चीज को देखो। एक कटोरा या कोई भी चीज काम देगी। लेकिन देखने की गुणवत्‍ता भिन्‍न हो। ‘’किसी कटोरे को उसके पार्श्‍व-भाग या पदार्थ को देखे बिना […]

तंत्र-सूत्र—विधि-30 (ओशो)

देखने के संबंध में कुछ विधियां: ‘’आंखें बंद करके अपने अंतरस्‍थ अस्‍तित्‍व को विस्‍तार से देखो। इस प्रकार अपने सच्‍चे स्‍वभाव को देख लो।‘’ ‘’आंखें बंद करके……।‘’ अपनी आंखें बंद कर लो। लेकिन आंखे बंद करना ही काफी नहीं है। समग्र रूप से बंद करना है। उसका अर्थ है कि आँखो को बंद करते उनकी […]

x